Published as जबिन टी. जैकब, ‘श्रीलंका पर सही फैसला’, Dainik Jagran, 12 November 2013.
Original text in English follows below
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस सप्ताह श्रीलंका में राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों के सम्मेलन (चोगम) में भाग लेने नहीं जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का यह फैसला एक राजनेता के साथ ही सरकार के मुखिया की हैसियत से लिया गया एक सुलझा हुआ निर्णय है। मीडिया के एक वर्ग द्वारा चोगम में प्रधानमंत्री के भाग न लेने को अनुचित ठहराना और इसे राजनीतिक दबाव में राष्ट्रीय हितों की बलि करार देना बिल्कुल गलत है। प्रधानमंत्री से सबसे पहली और महत्वपूर्ण अपेक्षा देश को चलाने की होती है और देश चलाते हुए उन्हें निर्वाचन प्रक्रिया से अपनी पार्टी को मिले जनादेश पर बराबर ध्यान रखना पड़ता है। निर्वाचन प्रक्त्रिया ही केंद्र में सरकार का स्वरूप निर्धारित करती है। ऐसे में सरकार पर गठबंधन के सहयोगी विभिन्न क्षेत्रीय दलों का प्रभाव स्वाभाविक ही है।
विदेश में भारत के राष्ट्रीय हितों और घरेलू राजनीतिक दबाव में अंतर्विरोध जरूरी नहीं है।